रांची(झारखंड): राज्य सरकार ने उस खबर को ग़लत बताया है जिसमें गिरिडीह के मारांगबुरू पर पूरी तरह जैनियों को कब्जा दिलाने का दावा किया जा रहा है. इस संबंध में पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद और युवा कार्य विभाग, झारखंड के सचिव का हवाला भी दिया गया है. इस खबर के संबंध में आपत्ति जताते विभाग की ओर से प्रेस विज्ञप्ति जारी करते बताया गया है कि मारांगबुरू को जैनियों के हवाले किए जाने संबंधी खबर पूरी तरह से असत्य, भ्रामक और तथ्यों से परे है. इसके लिए आठ सदस्यीय कमिटी बनाकर उसमें 7 जैनियों और 1 आदिवासी सदस्य रखें जाने की सूचना भी झूठ है. पर्यटन विभाग की ओर से इस संबंध में ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई है. विभाग ऐसी खबरों का पूरी तरह खंडन करता है.

महाजुटान की तैयारी
गौरतलब है कि पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित सम्मेद शिखरजी मामले में विवाद जारी है. इसे पर्यटन स्थल की बजाए तीर्थस्थल का दर्जा दिए जाने की अपेक्षा देशभर के जैन समाज के लोग कर रहे हैं. इधर, पूर्व सांसद और सेंगेल अभियान के प्रमुख सालखन मुर्मू और जनजाति संगठनों से जुड़े कई लोग पारसनाथ पर्वत पर आदिवासियों का पहला हक होने का दावा कर रहे हैं. इसे लेकर मंगलवार को पारसनाथ के समीप महाजुटान की तैयारी है. सालखन के मुताबिक पारसनाथ आदिवासियों के लिए पवित्र तीर्थ स्थल है. जैसे हिन्दू के लिए अयोध्या है, उसी तरह से हमारे लिए मरांगबुरू का महत्व है. इसे बचाने के लिए हम संघर्ष करेंगे.