धनबाद : ईसीएल मुगमा एरिया की कापासारा आउटसोर्सिंग खदान के ऊपरी भाग में 29 नवंबर की अहले सुबह तेज आवाज के साथ पचास फीट के दायरे में जमीन फट गई. करीब पांच फीट तक जमीन धंस गई. पास में अवैध कोयला खनन कर रहे 25-30 लोग बाल-बाल बच गए. कोयला चोरी में जुटे लोगों में अफरा-तफरी मच गई. घटनास्थल से करीब 50 फीट की दूरी पर बसे दो-तीन परिवार भी बाल-बाल बच गए. कोलियरी और आउटसोर्सिंग प्रबंधन ने भू-धंसान घटना को स्वीकार किया है, लेकिन किसी के मरने की बात से साफ इनकार किया है.
ज्ञात हो कि रोजाना दर्जनों लोग कोयला तस्करी के लिए अवैध मुहाना से खदान में घुसते हैं. बुधवार की रात भी लोग अवैध खनन के लिए अंदर गए थे. वे खदान के अंदर हैं या घटना से पहले बाहर निकल गए इसका सही पता नहीं है. आरोप है कि आउटसोर्सिंग कंपनी प्रबंधन व ईसीएल अधिकारियों की लापरवाही के कारण क्षेत्र में इस तरह की घटनाएं घट रही हैं. सुरक्षा का कोई ठोस इंतजाम नहीं किया गया है। सुरक्षा के नाम पर प्रवेश निषेध का बोर्ड लगा मामूली तार से घेराबंदी कर खानापूर्ति की गई है. घटनास्थल से महज 500 मीटर की दूरी पर हावड़ा-नई दिल्ली मुख्य रेल मार्ग है. अवैध खनन से रेल लाइन को भी खतरा हो सकता है.
दरार पड़ी जमीन के नीचे हैं 10 अवैध मुहाने
दरार पड़ी जमीन के नीचे अवैध कोयला खनन के 10 से अधिक मुहाने हैं. लोगों का कहना है कि मुहाने के भीतर अवैध खनन कार्य चल रहा था. घटना के बाद खनन में लगे लोग वहां भाग निकले.
एक माह पहले भी यहां हो चुकी है भू-धंसान
करीब एक माह पहले 18 नवंबर को भी इसी जगह एक सौ मीटर के दायरे में भू-धंसान की घटना हुई थी. जिसमें अवैध खनन में लगे 25-30 लोगों के दबे होने की आशंका जतायी गयी थी.
सिंडिकेट करवाता है अवैध खनन
जानकारी के अनुसार, क्षेत्र में अवैध कोयला खनन में एक सिंडिकेट लगा हुआ है. सिंडिकेट की ओर से जामताड़ा, नारायणपुर और पश्चिम बंगाल के निघा, आसनसोल, पुरूलिया, बांकुड़ा सहित अन्य जगहों से 500 से अधिक मजदूरों को बुलाकर कोयला कटवाया जाता है. अवैध कोयला आसपास के भट्ठों में पहुंचाया जाता है, जहां से ट्रकों से फर्जी कागजात के जरिये बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल भेजा जाता है.