न्यू ईयर 2026 पर आप क्यों जाएँ ‘हथिया पत्थर धाम’—दामोदर तट पिछरी ?
प्राकृतिक सुंदरता, आस्था, रोमांच और शांति का संगम—एक ऐसा स्थल जो दिल छू ले

हथिया पत्थर : दामोदर के मध्य स्थित आस्था, इतिहास और प्रकृति का अद्भुत संगम
लेखक : निर्मल महतो, प्रधान संपादक – नजर आप तक न्यूज़, बेरमो (बोकारो)
बोकारो जिले के बेरमो प्रखंड अंतर्गत जैनामोड़–फुसरो मुख्य मार्ग पर, फुसरो शहर से कुछ ही दूरी पर स्थित पिछरी गांव के पास दामोदर नदी के मध्य अवस्थित हथिया पत्थर उन चुनिंदा स्थलों में शामिल है, जहां प्रकृति, आस्था, रहस्य और लोककथाओं का अद्वितीय संगम देखने को मिलता है।
दूर से गुजरने वाला हर राहगीर नदी के बीचों-बीच खड़े हाथीनुमा इस विशाल पत्थर को देखकर ठहर जाने को मजबूर हो जाता है। मानो यह सदियों से अपनी कथा स्वयं सुनाना चाहता हो।
🔸 हथिया पत्थर की प्राकृतिक भव्यता
दामोदर के प्रवाह के बीच स्थित यह अनोखा चट्टानी ढांचा देखने में एक विशालकाय हाथी जैसा प्रतीत होता है। नदी की लहरें इस चट्टान को चारों तरफ से स्पर्श करती हुई सुन्दर दृश्य बनाती हैं।
सर्दियों के मौसम में पानी कम होने पर यहां के आसपास की चट्टानें और प्राकृतिक संरचनाएं स्पष्ट दिखाई देती हैं, जिन्हें देखने रोजाना सैकड़ों लोग पहुंचते हैं।
🔸 मकर संक्रांति का विशाल मेला – बोकारो का सबसे लोकप्रिय पर्व
हथिया पत्थर में मकर संक्रांति के दिन लगने वाला मेला पूरे क्षेत्र में अत्यंत लोकप्रिय है।
- हजारों की संख्या में लोग यहां पहुंचकर दामोदर नदी में पवित्र स्नान करते हैं
- मंदिर में दर्शन-पूजन और नारियल-अर्पण करते हैं
- परिवार और रिश्तेदारों के साथ पूरे दिन का पिकनिक मनाते हैं
- युवक–युवतियों से लेकर बुजुर्ग तक, हर कोई यहां खास आकर्षण महसूस करता है
स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा नदी के दाहिने तट पर बने मंदिर और शेड ने पूजा व्यवस्था को और भी सुगम बना दिया है।
🔸 स्थानीय मान्यता : राजा की बारात पत्थर बन गई
हथिया पत्थर से जुड़ी सबसे मनमोहक कथा क्षेत्रवासियों के बीच पीढ़ियों से प्रचलित है।
कहा जाता है कि—
एक राजा अपनी बारात के साथ दामोदर नदी पार कर रहे थे। तेज बहाव में फंसने पर राजा ने नदी देवता से प्रार्थना की कि विवाह उपरांत लौटकर वे पशु बलि चढ़ाएंगे। मगर विवाह के बाद राजा अपना वचन भूल गए।
दंतकथा के अनुसार—
नदी देवता के क्रोध से राजा, दूल्हा-दुल्हन, हाथी, घोड़े, नगाड़ची और पूरी बारात पत्थर में बदल गई।
आज भी नदी के बीच दिखने वाली विभिन्न आकृतियों को लोग उसी घटना का प्रमाण मानते हैं।
🔸 मनोकामना पूरी होने पर चढ़ते हैं वस्त्र
करीब डेढ़ शताब्दी से यहां पूजा-अर्चना की परंपरा चली आ रही है। श्रद्धालु मानते हैं कि—
“हथिया पत्थर में सच्चे भाव से की गई प्रार्थना अवश्य पूर्ण होती है।”
मनोकामना पूरी होने पर लोग
✔ नए वस्त्र
✔ लाल चुनरी
✔ नारियल
✔ धूप-दीप
चढ़ाते हैं।
🔸 सर्दियों में प्राकृतिक पिकनिक स्थल
दिसंबर और जनवरी के महीनों में यह स्थल बोकारो, धनबाद, गिरिडीह और चास–बेरमो क्षेत्र के लोगों के लिए प्रमुख पिकनिक स्पॉट बन जाता है।
- सुरक्षित और खुला वातावरण
- नदी किनारे बैठकर खाना बनाना
- चट्टानों के बीच फोटोशूट
- बच्चों के लिए खेलने की खुली जगह
सब मिलकर यह स्थान पर्यटकों के लिए आदर्श बनाता है।
🔸 पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग
स्थानीय लोग वर्षों से मांग कर रहे हैं कि:
- हथिया पत्थर को सरकारी पर्यटन स्थल का दर्जा दिया जाए
- नदी तक पहुंचने के लिए सड़क, पार्किंग और सुरक्षा व्यवस्था विकसित की जाए
- घाट, शौचालय और लाइटिंग की सुविधा बढ़ाई जाए
क्योंकि यह स्थल अपने इतिहास, रहस्य, लोक आस्था और प्राकृतिक सुंदरता की वजह से बोकारो जिले की धरोहर बनने की क्षमता रखता है।
निष्कर्ष
दामोदर नदी के हृदय में स्थित हथिया पत्थर सिर्फ एक प्राकृतिक संरचना नहीं, बल्कि
- आस्था,
- लोककथाओं,
- इतिहास,
- और प्रकृति की सुंदरता
का ऐसा संगम है, जिसे देखने हर साल हजारों लोग आते हैं।
यदि आप आने वाले न्यू ईयर 2026 को यादगार बनाना चाहते हैं, तो हथिया पत्थर धाम पर एक दिन बिताने का अनुभव आपके लिए अविस्मरणीय साबित होगा।
प्रकृति और रोमांच का अद्भुत संगम
यहाँ आने पर आपको कई प्रकार के प्राकृतिक अनुभव मिलते हैं—
✓ पथरीले रास्तों पर एडवेंचर
✓ नदी किनारे फोटोग्राफी
✓ बच्चों के लिए खुला प्राकृतिक प्लेग्राउंड
✓ बड़े-बड़े अनोखे चट्टानों के बीच घूमने का मज़ा
खासकर हथिया पत्थर का विशाल आकार और उसकी अनोखी आकृति हर पर्यटक को आकर्षित करती है।
परिवार के साथ पिकनिक के लिए आदर्श जगह
यहाँ दूर-दूर तक फैला खुला मैदान, नदी किनारे बैठ कर खाना खाने की सुविधा और भीड़ में भी प्राकृतिक शांति मिल जाती है।
नए साल पर यहाँ हजारों लोगों की मौजूदगी भी इसे खास बनाती है।
सुबह से शाम तक लोग परिवार, दोस्तों और बच्चों के साथ यहाँ खुशनुमा समय बिताते हैं।
न्यू ईयर 2026: हथिया पत्थर धाम क्यों है बेस्ट ?
प्राकृतिक सौंदर्य फ़ोटो खींचने वालों के लिए जन्नत
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय दामोदर नदी अद्भुत नजर आती है।
तस्वीरों में नदी के बीचों-बीच चट्टानों का फैलाव किसी फ़िल्मी लोकेशन जैसा लगता है।
भीड़ लेकिन अनुशासित माहौल
नए साल में भीड़ बहुत होती है, लेकिन फिर भी यहाँ माहौल शांत और पारिवारिक होता है।
लोग पूजा, स्नान, घूमना, गाना-बजाना और पिकनिक के बीच पूरे दिन का आनंद लेते हैं।
सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है
फुसरो, बेरमो, बोकारो, तेनूघाट, धनबाद—हर जगह से यहाँ पहुँचना बेहद आसान है।
रास्ते में भी सुंदर प्राकृतिक दृश्य आपका मन मोह लेते हैं।
स्थानीय खाने-पीने की व्यवस्था
न्यू ईयर के समय यहाँ चाय-पानी, नाश्ता, मिठाई, स्थानीय व्यंजन और खिलौने बेचने वाले कई अस्थायी स्टॉल लग जाते हैं।
सुरक्षा एवं स्थानीय सहयोग
स्थानीय ग्रामीण और प्रशासन दोनों ही पिकनिक के समय सहयोग करते हैं।
पहाड़ियों, चट्टानों और नदी के आसपास सुरक्षा व्यवस्था रहती है।
हथिया पत्थर धाम: एक पौराणिक और प्राकृतिक अद्भुत जगह
आस्था
यहाँ माता का प्राचीन मंदिर है, जहाँ नए साल पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करते हैं।
प्राकृतिक संरचना
विशाल चट्टानों के अनोखे आकार—किसी में शिव का चेहरा तो किसी में प्राकृतिक गुफा जैसा एहसास मिलता है।
नदी के बीच स्थित लकड़ी-प्लेटफॉर्म का पुल (जो बारिश में हट जाता है) यहाँ के आकर्षण में चार चाँद लगा देता है।
लोककथाएँ
स्थानीय लोगों का मानना है कि प्राचीन काल में यहाँ के पत्थरों पर हथियार या औजारों के निशान खुद-ब-खुद बनें, इसलिए इसका नाम ‘हथिया पत्थर’ पड़ा।
पर्यटकों के लिए सुझाव
✓ नदी किनारे फिसलन भरी चट्टानों से बचें
✓ बच्चों पर नजर रखें
✓ प्लास्टिक या कचरा न फैलाएँ—प्रकृति को स्वच्छ रखें
✓ भीड़ में अपने सामान का ध्यान रखें
✓ सुबह या शाम का समय सबसे सुहावना होता है
आइए, न्यू ईयर 2026 को खास बनाएं—हथिया पत्थर धाम में
अगर आप बोकारो-बेरमो क्षेत्र में रहते हैं, तो बिना देर किए यहाँ जरूर जाएँ।
और अगर आप बाहर से आ रहे हैं, तो एक बार इस जगह को देखने के बाद आप हर साल यहाँ आना चाहेंगे।
यह सिर्फ पिकनिक स्पॉट नहीं—यह प्रकृति, आस्था और रोमांच का संगम है।
एक ऐसी जगह जहाँ आपका मन, आपका परिवार और आपकी यादें—तीनों खुश हो जाते हैं।
- लेखक:
- निर्मल महतो
- प्रधान संपादक, नज़र आप तक न्यूज़ Ground Reporting – बेरमो, बोकारो, झारखंड



